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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
उत्तर वैदिक कालीन समाज का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर-

ऋग्वैदिक कालीन सरल समाज में उत्तर वैदिक काल तक आते-आते कई परिवर्तन हो गए। उस काल के समाज में सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन वर्ण-व्यवस्था का जटिल होना है। कर्म आधारित वर्ण-व्यवस्था जन्म आधारित व्यवस्था के रूप में बदलने लगी। उत्पादन से सम्बन्ध नहीं रखने के बावजूद ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज के सर्वश्रेष्ठ, सुविधा एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग बन गए। ये सिर्फ उत्पादन के नियन्त्रक थे। इसके विपरीत उत्पादक - वैश्य और शूद्र-सुविधाविहीन वर्ग थे। इन चारों वर्णों में सबसे बुरी अवस्था शूद्रों की थी।

चारों ही वर्णों के आचार-विचार, खान-पान और विवाह सम्बन्धी नियम अलग-अलग थे। शूद्रों और अन्य वर्गों में एक स्पष्ट विभेद यह था कि शूद्रों को उपनयन संस्कार का अधिकार प्राप्त नहीं था, जबकि प्रथम तीन वर्ण यह संस्कार कर सकते थे। समाज के अनेक निम्न श्रेणी के व्यक्तियों (पुलिंद, आन्ध्र, पुण्डू, शबर, व्रात्य, निषाद आदि) को वर्ण-व्यवस्था के बाहर रखा गया। उत्तर वैदिक सामाजिक व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि आपसी मतभेद के बावजूद सुविधाभोगी वर्ग सुविधाविहीन वर्गों के विपरीत संगठित था। ब्राह्मण एवं क्षत्रियों में सर्व श्रेष्ठता और अधिक धन प्राप्त करने के लिए संघर्ष होते थे। उत्तर- वैदिक साहित्य में ब्रह्म (ब्राह्मण) और क्षत्र (क्षत्रिय) के संघर्ष का उल्लेख मिलता है। यह संघर्ष सिर्फ सामाजिक श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए ही नहीं बल्कि अतिरिक्त उत्पादन पर अधिकार करने के लिए भी हुआ, परन्तु अन्ततः ब्राह्मणों ने अपने लिए गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त कर सन्तोष प्राप्त कर लिया। वैश्यों को समाज में तीसरा स्थान प्रदान किया गया। यह वर्ग उत्पादन से सम्बद्ध था। इस वर्ग को सैनिक सुविधाएँ भी देनी पड़ती थी। सबसे नीचे शूद्रों को रखा गया। उनकी अवस्था दयनीय थी। उच्च वर्णों की सेवा करना ही उनका कर्त्तव्य था। उन पर अनेक प्रतिबन्ध लाद दिए गए। राजा अपनी इच्छा के अनुसार उन्हें आतंकित या दण्डित भी कर सकता था। शूद्र धार्मिक कर्मकाण्डों में भाग नहीं ले सकते थे। उच्च वर्णवाले (हिज) अनेक सामाजिक विशेषाधिकारों से सम्पन्न थे। वर्णव्यवस्था की जटिलता ने सगोत्र विवाहों (विशेषकर ब्राह्मणों के बीच ) पर प्रतिबन्ध लगा दिया। अन्तर्जातीय विवाह सम्भव थे, परन्तु शूद्रों से वैवाहिक सम्बन्ध कायम करना धर्मविरोधी और निन्दनीय माना गया। इन सबके बावजूद उच्च वर्णों एवं निम्न वर्ण के बीच खान-पान सम्बन्धी नियम तब तक उतने कठोर नहीं बने थे जितने बाद में हो गए। चाण्डालों, दासों इत्यादि को वर्णव्यवस्था के बाहर रखा गया।

उत्तर वैदिक युग में व्यक्तिगत सम्पत्ति के उदय ने सामाजिक असमानता भी उपस्थित कर दी। यद्यपि इस समय भी भूमि पर सामूहिक स्वामित्व ही माना जाता था, तथापि उत्तर वैदिक साहित्य में भूमि के दान एवं खरीद का भी उल्लेख मिलता है। इस व्यवस्था ने व्यक्तिगत स्वामित्व, सम्पत्ति एवं सामाजिक असमानता की भावना उत्पन्न कर दी। जिनके पास अधिक जमीन थी, उनकी समाज में विशिष्ट स्थिति बन गई। ऐसे व्यक्ति दास भी रखते थे। अथर्ववेद से पता लगता है कि स्त्री-दासियों द्वारा अनाज की पिसाई करवाई जाती थी। ऐसी व्यवस्था में आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति भी दयनीय हो गई, उनकी स्वतन्त्रता समाप्त हो गई, वे दूसरों पर आश्रित बन बैठे। फलस्वरूप, पूर्व वैदिक काल की सामाजिक समानता समाप्त हो गई और सामाजिक असमानता फैल गई।

आर्यों के कौटुंबिक जीवन में कोई विशेष परिवर्तन दृष्टिगोचर नहीं होता। परिवार का मुखिया अब भी सम्माननीय व्यक्ति था। खान-पान, वस्त्र आभूषण तथा आमोद-प्रमोद के साधन भी पूर्ववत् ही बने रहे, परन्तु इस काल में पितृसत्तात्मक तत्त्व ज्यादा प्रबल होते चले गए। इसका सीधा परिणाम स्त्रियों की अवस्था पर पड़ा। उनकी स्थिति में गिरावट स्पष्ट तौर पर दृष्टिगोचर होती है। पुत्र की कामना पूर्ववत् की जाती रही, परन्तु अब पुत्रियों का जन्म अभिशाप माना जाने लगा। ऐतरेय ब्राह्मण में पुत्र को परिवार का रक्षक एवं पुत्रियों को दुःख का कारण बताया गया है। इतना ही नहीं, मैत्रायणी संहिता में जुआ और सुरा के साथ-साथ स्त्रियों को भी पुरुष का दुर्गुण बताया गया है। यद्यपि साधारणतया अब भी विवाह एकात्मक ही होते थे, तथापि उच्च वर्णों में बहुविवाह की प्रथा प्रचलित हो चुकी थी। नियोग और विधवा विवाह की प्रथा भी चलती रही। सती प्रथा का उदय अभी तक नहीं हो सका था यद्यपि इस प्रथा के प्रचलन के भी कुछ उदाहरण उत्तर- वैदिक साहित्य में मिलते हैं। अल्पायु में ही लड़कियों के विवाह करने पर बल दिया जाने लगा। स्त्रियों को पूर्णतः पुरुषों के अधीन कर दिया गया। उनके राजनीतिक और धार्मिक अधिकारों पर भी प्रतिबन्ध लग गए। कुछ स्त्रियाँ अब भी विद्या, नृत्य और संगीत में पारंगत होती थी।

उत्तर वैदिक कालीन सामाजिक जीवन में आश्रम व्यवस्था का भी उदय हुआ। सामान्यतः एक आर्य की आयु 100 वर्षों की मानी गई। इसे चार बराबर भागों में विभक्त कर निश्चित कार्य करने को कहा गया। जीवन का पहला काल ब्रह्मचर्य था। इस अवधि के दौरान यह अपेक्षित था कि व्यक्ति गुरुकुल में रहकर, कठोर नियम और अनुशासन का पालन करते हुए विद्यार्जन करे। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् मनुष्य को जीवन के दूसरे चरण गार्हस्थ में प्रवेश करना पड़ता था। इस चरण में उसका प्रमुख कर्त्तव्य विवाह कर पुत्र पैदा करना, धन कमाना एवं अतिथि सत्कार करना था। गृहस्थाश्रम को बहुत ही आदर से देखा जाता था क्योंकि इसी चरण में मनुष्य सांसारिक सुखों का उपभोग करता था, अनेक व्यक्तियों का पालन-पोषण करता था तथा अपने परिवार एवं समाज के प्रति विभिन्न उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता था। गृहस्थाश्रम के पश्चात् वानप्रस्थ की अवस्था थी। जीवन के इस चरण में मनुष्य से यह अपेक्षित था कि वह गृहस्थ जीवन का भार अपने पुत्रों को सौंपकर सांसारिक जीवन से विरक्त होकर त्याग एवं तपस्या का जीवन व्यतीत करे। ऐसे व्यक्ति ग्रामों से बाहर वन में कुटी बनाकर रहते थे तथा ब्रह्मचारियों को शिक्षा देते थे। जीवन का अन्तिम चरण संन्यास का था। इस अवधि में मनुष्य संन्यासी का जीवन व्यतीत करते हुए मोक्ष की प्राप्ति का प्रयत्न करता था। संन्यासी जंगलों में निवास करते थे। वे घूम-घूमकर उपदेश भी देते थे, इसीलिए इन्हें परिव्राजक भी कहा जाता था। आश्रम व्यवस्था की स्थापना के पीछे दो मूल उद्देश्य थे प्रथमतः मनुष्य इस व्यवस्था द्वारा चार प्रकार के ऋणों से उऋण हो सके। द्वितीय, इस व्यवस्था द्वारा मनुष्य मानव-जीवन के चार महान पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कर सके। यह व्यवस्था भी उच्च वर्णों के लिए ही सुरक्षित रखी गई।

इस युग में शिक्षा की प्रगति भी हुई। विद्यार्थियों के लिए उपनयन संस्कार आवश्यक बना दिए गए, परन्तु शूद्र और स्त्री यह संस्कार नहीं कर सकते थे। विद्यार्थी को गुरुकुल में रहते हुए गुरु की सेवा कर शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती थी। राज्य अब भी शिक्षा की व्यवस्था नहीं करता था। शिक्षण संस्थाएँ अनुदान से चलती थी। शैक्षणिक विषयों में देवविद्या, ब्रह्म-विद्या, भूत-विद्या, नक्षत्रविद्या, तर्कशास्त्र, इतिहास, उपनिषद् आदि प्रमुख थे। इनके साथ-साथ स्वाध्याय, प्राणायाम तथा शारीरिक एवं चारित्रिक बल पर भी ध्यान दिया जाता था। उस काल में भी शिक्षा की मौखिक व्यवस्था थी। लगभग 12 वर्षों तक विद्यार्थियों को गुरुकुल रहकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती थी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

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